सावन माह हिंदू पंचांग का एक अत्यंत पावन और आध्यात्मिक महत्व है, जो विशेष रूप से भगवान शिव(SHIV) को समर्पित होता
सावन – सिर्फ एक महीना नहीं, एक साधना है।
सावन का नाम आते ही मन में ठंडी हवाओं, हरियाली और भोलेनाथ की आरती की ध्वनि गूंजने लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये महीना सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं है – ये हमारे भीतर शिव(SHIV) को अनुभव करने का एक अवसर है। ये समय है जब प्रकृति भी तपस्वी बन जाती है, और हर बूँद हमें ध्यान की ओर बुलाती है।
क्यों कहा जाता है सावन को शिव का महीना ?

पुराणों के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तब हलाहल नामक विष निकला जिसने पूरे ब्रह्मांड को संकट में डाल दिया। महादेव ने वह विष अपने कंठ में धारण कर लिया, और तभी से उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा गया। यह घटना सावन मास में हुई थी, इसलिए यह महीना शिव(SHIV ) के त्याग, करुणा और बलिदान का प्रतीक बन गया।
सावन में शिव को कैसे प्रसन्न करें?

शिवजी(SHIV) को प्रसन्न करने के लिए दिखावे की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें चाहिए सिर्फ श्रद्धा और सरलता। सावन के सोमवार को प्रातः स्नान करके शिवलिंग पर शुद्ध जल, दूध, बेलपत्र, और धतूरा, चढ़ाएं। “ ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। सबसे ज़रूरी है – आप जो कर रहे हैं, उसमें मन और भावना पूरी तरह समर्पित हो ।
सच्ची शिव पूजा दिखावे से नहीं, अनुभव से होती है।
महादेव ध्यान, मौन और आत्म-ज्ञान के देव हैं। वे न तो महलों में बसते हैं, न ही आरती की चमक- दमक उसको पसंद है । वे तो वहाँ होते हैं जहाँ मन शांत होता है। सावन में शिव पूजा का अर्थ है – खुद से जुड़ना, विकारों को त्यागना और अपने भीतर बैठे शिव(SHIV) को पहचानना।
सावन में क्या करें और क्या नहीं?

इस माह में सात्विक जीवनशैली अपनाना सबसे महत्वपूर्ण है। मांस, मदिरा, झूठ, क्रोध और अशुद्ध विचारों से दूरी बनाए रखें। बेलपत्र, जल, भस्म व मंत्रों के साथ दिन की शुरुआत करें। शाम को दीपक जलाकर शिव की आरती करें और आत्म- चिंतन करें। यह महीना सिर्फ व्रत का नहीं, विकास का है – इन महीनो में आत्मिक विकास का कार्य होना चाहिए
हर सावन एक मौका है – खुद को फिर से खोजने का !
शिव(SHIV) की भक्ति केवल मंदिर तक सीमित नहीं है। जब आप झूठ छोड़ते हैं, ममता और अहंकार त्यागते हैं, जब आप भीतर मौन होते हैं – वही शिव की सच्ची उपासना है।
शिव(SHIV) से क्या मांगें?
सावन में भगवान शिव से भौतिक वस्तुएं मांगने के बजाय, वो मांगें जो आपको शिव के समीप ले जाएं। विवेक, शांति, सहनशीलता, और सच्चा प्रेम | क्योंकि जब ये गुण आते हैं, बाकी सब अपने आप मिलने लगता है। शिव को पाने का सही तरीका है – खुद को भीतर से बदल देना।
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