भगवान Ganesh के अलग अलग युगो में भगवान के भिन्न भिन्न अवतार के बारे में माहिती मिलती है | गणेश पुराणमें भगवान गणेश के बारेमे बहुत कुछ लिखा है|
कृतयुग
महोत्कट विनायक (mahotkat vinayak) – कृत युग में कश्यप व् अदितिने जन्म दिया| इस अवतार में Ganesh ने देवतान्तक वनरान्तक नमक राक्षसो का संहार कर धर्म की और स्थापना की समाप्ति |सिंह इनका वाहन था |

त्रेतायुग
मयूरेश्वर – त्रेतायुग में देवताओं दैत्यराज सिंधु के अत्याचारों मुक्ति दिलाने के लिए Ganesh ने मयूरेश्वर का अवतार लिया | गणपतीने माता पार्वती से कहा कि “माता मैं विनायक दैत्यराज सिंधु का वध करूंगा | तब भोलेनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया की कार्य निर्विघ्न पूरा होगा,तब मोर पर बेठकर गणपतीने सिंधु की नाभि पर वार किया और देवताओं को विजय प्राप्त दिलाई | इस लिए मयूरेश्वर की पदवी प्राप्त हुई | कई जगह पे मोरेश्वर भी कहते है |

द्वापरयुग
द्वापर युगमें भगवान Ganesh को गजानन के रूप में जाना जाता है| उनका वाहन मूषक था और वे चार भुजाधारी थे| इस युग में Ganesh ने सिंदुरासुर नामक राक्षस का वध किया और कई राजाओ और वीर पुरुषो को मुक्त कराया जिन्हे राक्षसोने कैद किया था| इस युग में राजा वरेण्य को गणेशगीता के रूप में दर्शन का उपदेश दिया |

कलियुग
गणेश पुराणमें भगवान शिवने माता पार्वती को बताया है की कलियुग के अंत में Ganesh चारभुजा से युक्त होकर अवतार लेंगे | इस अवतार को ध्रुमवर्ण एवं शूर्पकर्ण के नाम से जाना जायेगा | इस अवतार में गणेशजी नील रंग के घोड़े पर सवार होंगे और अपनी महाबलशाली सेना के साथ पापियों का विनाश करेंगे |